लेखनी प्रतियोगिता -06-Feb-2024
गरीब
बचपन की नसीहत शरीफ हो गयी
, मां-बाप का दुलार हकीकत हो गयी
कर्म की संगत से किस्मत करीब हो गयी.
किस्मत के भरोसे अपनी हसरत गरीब हो गयी ।
चाहत दिखावटी आज इस अमीर की.
आज मुझ गरीब से मुलाक़ात हो गयी
खाने को चान्दी-सोने की खान नही
पीने को सोमरस सा पान नही,
फिर हसरती मन से नफरत को दूर रख
गरीबी मुझ मजबुर की शान हो गयी
आवाभगत इस तुच्छ कुटिया में है।
सोलह संस्कारा गरीब बिटीयां में है
जो अपनी खुशी को दाव लगाकर
ओरो की खुशियां अपनी ही खटिया में है।.
टूटे खटिया तो खुशी बहाल होती है
नित गटिया ना रही फिर भी इस मन में
दुसरो की खुशी मुझ गरीब की सदाबहार होती है
मूल को छोड़कर जो डाल खोजता है, वह भटकता है।
ये गरीब तो संतुस्टि में अपनी ही खुशियों से अटकता है
भरत कुमार सोलंकी
गंगापुर राजस्थान
Gunjan Kamal
10-Feb-2024 11:57 PM
👏👏
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Mohammed urooj khan
08-Feb-2024 12:15 PM
👌🏾👌🏾👌🏾
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Punam verma
07-Feb-2024 09:18 AM
Nice👍
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